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जाड़ों की धूप

  • Writer: Angika Basant
    Angika Basant
  • Jan 26, 2020
  • 1 min read

जनवरी की हलकी पीली धूप ने

आज शाम को

इस दीवार पर

परछाइयों से कुछ ख़ामोश सी बातें कहीं

कि मकड़ियों के जाले कहाँ-कहाँ छिपे

और घर के शीशे कहाँ धुले नहीं

भाप की नाचती हुई लहरों में

पड़ोस की रसोइयों से ख़बरें निकलीं

और बिन पत्तों के पेड़ों की आपस में

खुसुरपुसुर भी लिख दी गयी,

परछाइयों से

इस दीवार पर


जाने गर्मियों की तेज़-तलप रौशनी में क्यों,

सब साफ़-साफ़ दिखता नहीं

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